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Udasi ke samandar ko-Geet aur kavita-17


उदासी के समंदर को छुपाकर मन में रख लेना किसी की बद्दुआओं को दुआ के धन में रख लेना  हज़ारों लोग मिलते हैं मगर क्या फ़र्क पड़ता है निगाहों को जो भा जाए उसे दरपन में रख लेना

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