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Jindagi Hai-Geet aur kavita

Jindagi Hai - Geet aur kavita

तो चारा गर करेगा क्या हम भटकना चाहेंगे तो राहबर करेगा क्या ज़िंदगी है साँस भर उम्र भर की मौत है साँस भर न जी सका उम्र भर करेगा क्या जिसको ढूंढता हुआ दर-ब-दर फिरा है तू

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