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Sakaratmak Vichar - Kalpna aur Ichchha

सकारात्मक विचार - कल्पना और इच्छा

जब आप अपनी नई कल्पनाओं और इच्छाओं को महसूस करें
जब आप अपनी नई कल्पनाओं और इच्छाओं को महसूस करें तो किसी भी तरह की रुकावटों के बारे में चिंता करना छोड़ दें, क्योंकि आप पहले भी अपने मार्ग में आने वाली बड़ी-बड़ी रुकावटों का सामना करके अपनी मंजिल पर पहुंच चुके हो।
आपको जीतने की प्रबल इच्छा, सफलता का निर्णय, अपने जीवन पर नियंत्रण तथा कुशलता से जरूर सुसज्जित रहना होगा। सबसे पहले अपने मकसदों को पहचानें तथा मन में यह विश्वास भरें कि कोई भी रूकावट आपको अपनी मंजिल पर पहुंचने से नहीं रोक सकती। अपने मकसद की सफलता के लिए दृढ़ प्रतिज्ञाबद्ध बनें।
जीवन सुख-दुख का खेल है- सुख तथा दुख किस प्रकार हमारे भाग्य की दिशा तय करते हैं? हमारे पास दुख का सामना करने के आसान तरीके हमेशा मौजूद होते हैं। कभी हम शराब पीते हैं तो कभी सिगरेट और कभी ज्यादा खाने लगते हैं।
कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो किसी भी तरह की मानसिक परेशानी को व्यायाम करके, सैर पर जाकर, अच्छा संगीत सुनकर या किसी दूसरे काम में अपने आपको लगाकर दूर करते हैं।
अपनी परेशानियों को दूर करने वाले तथा आनन्द पहुंचाने वाले तरीकों को पहचानें और उनकी एक सूची बनाएं।
क्या और भी ऐसे सकारात्मक उपाय हैं जो हमें आनन्द दिलाने में मददगार हो सकते हैं?
गलत संयोजन- असफलता ज्यादा से ज्यादा हमारी इच्छाओं पर छाए रहने की कोशिश करती रहती हैं। हम अपनी इच्छाओं तथा मकसदों के लिए जोखिम उठाने की अपेक्षा अपने पास जो कुछ है, उससे चिपके रहना चाहते हैं। आपके लिए क्या ज्यादा महत्त्वपूर्ण होगा? आपने पिछले पांच सालों में कमाया है, उस पर कुण्डली मारकर बैठे रहना या अगले पांच सालों में और कमाने के लिए नए-नए मौकों की तलाश करना।
चिंता और आनंद क्या है?- किसी भी तरह की परेशानी अर्थात दुख को अपने मित्र के रूप में स्वीकार करना चाहिए। अगर आप यह सोचते हैं कि कोई कुछ भी करें मुझे ऊससे क्या? तो ऐसी सोच लेकर आप अपने जीवन में सिर्फ दुख ही प्राप्त कर सकते हैं और कुछ नहीं। अगर आप संबंधों में बने रहते हैं, तो इससे आपको थोड़ी परेशानी तो होगी लेकिन अगर आप इससे बाहर निकलते हैं तब आप अपने आपको ज्यादा तन्हा और अकेला महसूस करेंगे।।
अपने जीवन के पुराने दुख के पल को याद करें। इस बारे में कुछ करने के लिए अपने आपको परेशानी की गंभीरता को महसूस कराऐं। जब आप इस बारे में कुछ नहीं कर पाते तो आप भावुकता की दहलीज पर होते हैं। भावुकता के चरम बिन्दु को छूने के बाद आप परेशानियों का सामना करने में अपने आपको पूरी तरह समर्थ पाते हैं।
दुःख-दर्द के मायनों को बदल डालें। कई बार आप खुराक पर ध्यान देने की कोशिश करते हो, उससे भी बात नहीं बनती। भोजन को छोड़ नहीं सकते क्योंकि दिमाग ज्यादा समय तक यह सब बर्दाश्त नहीं कर सकता।
भूख से लड़ने की बजाय अपने दर्द की जांच करें। बहुत ज्यादा भोजन करने के बाद होने वाले हानिकारक परिणामों को याद करें। एक बार जब आपको यह महसूस हो जाएगा कि व्यायाम करना सुखदायक है तथा ज्यादा भोजन करना दुखदायक है, तब आपकी समझ में आएगा कि क्या सही है और क्या गलत?
कृपया ध्यान दें- ज्यादातर व्यक्ति अपने काम को, कल कर लूंगा या अभी तो टाईम में बाद में कर लूंगा, ऐसी आदत बनाकर टालने की कोशिश करते रहते हैं। लेकिन ऐसी आदत बाद में हमारी समस्याओं को सिर्फ बढ़ाने का ही काम करती है। अगर आप किसी काम को करने में देरी करते हैं तो अपने लिए और ज्यादा परेशानी ही पैदा करते हैं और कुछ नहीं।
अपने दिमाग में ऐसे चार कार्यों की सूची बना लें, जिन पर आपको आज काम करना है लेकिन आप उन्हें कल पर टालते जा रहे हैं? फिर निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दें-
1.     मैंने यह काम क्यों नहीं खत्म किया? ऐसा करने से पिछली बार मैने किस तरह की परेशानियों का सामना किया था।
2.     इस तरह की नेगेटिव (नकारात्मक) सोच रखकर क्या पहले कभी मुझे आनंद प्राप्त हुआ है?
3.     अगर मैं अपनी नेगेटिव सोच को बदलता नहीं हूं तो मुझे आगे चलकर किस-किस परेशानी का सामना करना पड़ेगा?
4.     अगर मै इसी समय से अपने कार्यों को करना शुरू करता हूं तो इससे मुझे कितना लाभ होगा?
हम सभी के मन में एक उम्मीद की लहर जरूर रहती है कि एक दिन, जब हमारे पास धन-दौलत, गाड़ी-बंगला होगा, जब हमारे हर किसी से अच्छे संबंध होगें, जब हम पूरी तरह स्वस्थ और हष्ट-पुष्ट होंगे, जब हम दुनिया में नाम पाएंगे तो उस समय हम कितना ज्यादा खुश होंगे।
ये सभी लाभप्रद स्थितियां थोड़े समय की मेहमान होती हैं जो आपको हमेशा संतुष्ट प्रदान नहीं करा सकती हैं। यह आपकी मानसिक स्थिति है जो आपके मन को खुश रखती हैं, तो क्यों न हम इसी समय से खुश रहने की आदत डालें।
खुश रहने का तरीका- आप अपने आपको खुश कैसे रख सकते हैं? क्या इस समय आप इस स्थिति में हैं कि हर तरह की खुशी, आनन्द और प्रसन्नता महसूस कर सकें?
अपने दिमाग में उस घटना, उस पल को याद करने की कोशिश करें जब आपको लगा था कि मुझे इतनी खुशी आज तक नहीं मिली। उस पल का रेखाचित्र अपने मन-मस्तिष्क में बैठा लें और अपने उन हाव-भावों को चेहरे पर लाएं। अपनी सांस के आने और जाने की प्रक्रिया को वैसे ही रखें जैसी उस समय थी। अपनी नसों की गति को जांचें और अपनी शारीरिक क्रियाओं को भी पहले के समय अनुसार संचालित करें। अब देखें कि क्या आप उसी तरह को जोश और प्रसन्नता महसूस करें रहे हैं जैसी आपने खुशी के पलों में महसूस की थी? क्या ऐसा हो सकता है कि उन्ही खुशी भरे पलों को आप जब चाहों महसूस कर सकों?
अपना ध्यान केन्द्रित करके देखें, आप फौरन प्रसन्नता का अनुभव करेंगे। किसी भी अनुभव को कई तरीकों द्वारा महसूस किया जा सकता है। हमारे पूरे शरीर में उकसाहट, उत्तेजना और चपलता हर समय रहती है, बस उसे बाहर कैसे निकालना है यह सब हमारी सोच पर निर्भर करता है।

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  सकारात्मक विचार

हमारा दिमाग कैसे काम करता है ?- 

कई बार क्या होता है कि आप जब अपने लिए कुछ नई चीज जैसे- घड़ी, किताब, पेन
कई बार क्या होता है कि आप जब अपने लिए कुछ नई चीज जैसे- घड़ी, किताब, पेन आदि खरीद कर लाते हैं तो उसे घर के अंदर ही कहीं पर रखकर भूल आते हैं और काफी याद करने पर भी आपको याद नहीं आता कि वह चीज आपने कहां रखी है। जब वह चीज आपने स्वयं रखी है तो आपको याद क्यों नहीं आ रहा कि वह चीज कहां रखी है- ऐसा क्यों होता है?
असल में हमारे दिमाग में एक ऐसा भाग होता है जिसमें हमारे द्वारा याद की हुई ऐसी सूचनाएं और योजनाएं जमा रहती है जो हमारा अस्तित्व बनाए रखने के लिए जरूरी है। अगर  हमने अपनी योजनाओं को साफ रूप से परिभाषित नहीं किया है तो इसका मतलब यह कि हमने अपने सपनों को साकार करने के लिए अपने दिमाग को ठीक से कार्यबद्ध नहीं किया है।
जब हम अपने मस्तिष्क को प्रशिक्षित कर रहे होते हैं तो उस समय आप अपने रेक्टिकुलर एक्टीवेटिंग सिस्टम को भी संचालित कर रहे होते हैं। इस समय आपके दिमाग का वह विशेष भाग (जिसमें सारी सूचनाएं आदि जमा रहती है) चुम्बक की तरह बन जाता है जो सूचनाओं तथा अवसरों को अपनी तरफ स्वयं ही आकर्षित करता रहता है।

अपने मकसदों को सामने रखें- 

अपने मन में सोचिए कि एक साल के अंदर आपने जिन-जिन कार्यों को करने के बारे में सोचा था, वह सारे आपने एक साल में पूरे कर लिए। अब देखिए कि ऐसा सोचकर आपको कैसा महसूस हो रहा है, आपको अपनी जिंदगी कैसी लग रही है? ये प्रश्न आपकी हर योजनाओं को सफल बनाने में आपकी मदद करेगा। आपको क्यों की जरूरत है तथा कैसे आपको अपने आप मिल जाएगा।
सबसे पहले आपको पूरे साल मे क्या-क्या करना है उसमें से चार योजनाओं को अपने दिमाग में बैठा लें। इसके बाद अपनी प्रतिबद्धता के स्तर पर और इन योजनाओं को पूरा करने के लिए आपको क्या-क्या कदम उठाने की जरूरत है, इस पर एक पैराग्राफ लिखें।

असफलता में ही सफलता छिपी है- 

अगर आप पहली ही बार में अपने किसी काम को पूरा करने में सफल नहीं हो पाते तो क्या आपको उस काम को करने का ख्याल छोड़ देना चाहिए या दुबारा से उस काम को पूरा करने की कोशिश में लग जाना चाहिए। इसका सीधा सा जवाब यह है कि जब तक आपको अपने काम में सफलता न मिल जाए तब तक उस काम को करते रहना चाहिए चाहे इसके लिए आपको कितनी ही परेशानियां क्यों न सहनी पडे़, और जब आपका वह काम पूरा हो जाएगा तो आपको अपने अंदर वह चीज महसूस होगी जिसके बारे में आपने सपने में भी नहीं सोचा होगा।
मजबूती और प्रतिबद्धता आपके व्यक्तित्व की महत्त्वपूर्ण स्रोत होती है। किसी चीज में रुचि लेना ही काफी नहीं होता बल्कि प्रतिबद्धता बहुत जरूरी है। यह संभव है कि आपको मिलने वाली छोटी सी असफलता आपकी सोच को भविष्य में मिलने वाली सफलता के लिए मजबूत बना दें।
अपनी असफलताओं का मूल्यांकन कीजिए कि आपने उनसे क्या सीखा है? पूरी सफलता पाने के लिए इस मूल्यांकन को ध्यान में रखते हुए अपने काम को पूरा की कोशिश में लगे रहें।

हर पल का आनंद लें- 

 खुशी तथा प्रसन्नता को किसी भी पल नजरंदाज नहीं किया जा सकता। जिंदगी का आनन्द उठाने के लिए अपने द्वारा की जा रही योजनाओं को पूरा करने की जरूरत नहीं है। हर पल महत्त्वपूर्ण है। अपने वर्तमान पर ध्यान दें, हर दिन को पूरे दिल से और हर पल को जी भरकर जिएं।
आपके जीवन में खुशी और उन्नति किसी एक योजना की सफलता की मोहताज नहीं है। आपकी योजना उतना महत्त्वपूर्ण नहीं है जितना कि उसको पाने के लिए आपके द्वारा चुना गया रास्ता। आपको सिर्फ अपनी दिशा पहचाननी है और अपने उद्देश्यों की तरफ चल पड़ना है।

मंजिल पर पहुंचने के लिए खुद को प्रोत्साहित कैसे करें?- 

इसके लिए सबसे पहले पिछले समय की उन योजनाओं को अपने दिमाग में याद करें जिनमें आपने सफलता पाई थी। सोचिए कि उस समय आपके मार्ग में किस तरह की रूकावटें आई थीं ओर आपने किस तरह उन रुकावटों का सामना करके अपनी मंजिल को प्राप्त किया था।

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Some Positive Thought

Some Positive Thought

Develop innumerable universes in the world of your imaginations:
Have complete faith on yourself. If you believe on yourself that you are honest, you are honest definitely.
Have complete faith on yourself. If you believe on yourself that you are honest, you are honest definitely. How did you get this carelessness?
Consider your ideas the upper portion of the table. The table is laid on four legs. You have these legs of carelessness through your experience. You will be called intelligent and intellectual when you did well in your school but we are not reliant on the reference of last experiences. We can make references on the base of our imagination power as Shri Chandera Shekhar Tiwari used his imagination power for facing against the diseases. Roger banister used imaginative reference that he can run one mile distance before the time of one minute.  

Belief, thoughts principle:

The success of any aim depends on our belief whether we are apt for that success or not. Your belief and concentration depend on your last experiences which can be in negative or sentimental form. In most cases, we have both kinds of ideas inside us.   
Any idea can take the form of belief if we don’t make references and experiences helpful in it.

Pay attention on the following sentences.

  1. Generally, people are honest and good.
  2. People are dishonest for themselves.
It may be that you have sufficient experience of believing that people are bad by heart. If you pay attention on other experiences, you will find out that people are good and honest by nature.   You have many reasons to believe it. 

Understand your belief:

Belief makes us capable in taking decision how can sorrows be procrastinated. Sometimes, we search mitigation in the form of belief at the moment of sadness or fear. Do you know that if someone undergoes through mental disturbance and problems, he don’t believe on love.  Many people make their nature obstinate and they remain unhappy, depressed and lonely all the time in place of giving up this negative mentality. They like to choose the way of death. Does your firm determination make you powerful or feeble?