सफलता और असफलता
आप कभी असफल नहीं हो सकते
कोई भी मनुष्य जीवन में सफलता का स्वाद
चखने से पहले निश्चित रूप से असफलता, अस्थायी हार का सामना करता है। जब हार हावी
हो जाती है तो लोग सबसे आसान तरीका ढूंढ़ते हैं कि मैदान छोड़कर हट जाओ।
ज्यादातर मनुष्य यही करते हैं। सफल
आदमियों के एक सर्वें में यह पता चला कि बड़ी सफलता, असफलता के एक कदम पीछे होती
है। असफलता में ही सफलता छिपी होती है। अगर आप सफल होना चाहते हैं तो अपनी असफलता
की दर दुगुनी कर दो यानि उद्देश्य प्राप्ति तक प्रयास करते रहो। अगर कोई कार्य
आपके अनुसार ठीक है तथा आपका इसमें विश्वास है तो आगे बढ़कर इसे करो। अपने
उद्देश्य को सामने रखो। यदि अस्थायी हार या असफलता का सामना करना पड़े तो डरें
नही। कोई भी इंसान तब तक नहीं हारता जब तक कि वह वास्तव में हार स्वीकार नहीं कर
लेता।
संबंधों में मजबूती लाएं
अगर आपको कुछ समय से ऐसा महसूस हो रहा
है कि आप दूसरे लोगों से अच्छा बर्ताव नहीं कर रहे हैं या उनसे कटे-कटे रह रहे हैं
तो समझ लीजिए कि आपके जीवन के प्रधान और आधारभूत नियम गड़बड़ा चुके हैं। आप जो
परेशान हुए हैं वह किसी व्यक्ति की वजह से नहीं बल्कि अपने विश्वास, अपने स्तर या
नियमों का उल्लंघन करने की वजह से। शायद आपने अपने व्यावहारिक नियमों को भी ताक पर
रख दिया है। अगली बार यह ध्यान रखें कि आप किसी व्यक्ति से खफा नहीं हो बल्कि
वर्तमान परिस्थितियों के कारण ऐसा हो रहा है। अपने आप से पूछें मेरे नियम ज्यादा
महत्त्वपूर्ण हैं या व्यक्ति के साथ संबंध। आपकी पुरानी स्थापित आदतों में किसी
प्रकार की रूकावट, द्वन्द्व की स्थिति का निर्माण कर देती है।
यह कहने की जरूरत नहीं है कि सीमित
अभिव्यक्ति जीवन को सीमित बनाती हैं। तरक्की तथा विकास के लिए अपनी घिसी-पिटी
आदतों को छोड़कर नयापन अपनाएं। महान विचार बिजली के वोल्ट की तरह चोट नहीं करेगा,
बल्कि आपको अपने जीवन में मूर्तरूप से उसे उतारना होगा।
आपकी विशिष्ट पहचान
आपको विशिष्ट पहचान कैसे मिलती है? आप अपने आपमें बेजोड़ हैं, अद्वितीय हैं
यह आपके अनुभवों की वजह से है। आपके कार्य आपके नर्वस सिस्टम में रिकार्डिड है न
कि आपकी जागृत मैमोरी में हैं।
यह संपूर्ण जागृत या अजागृत स्मृतियां
संदर्भ कहलाती हैं, जो कुछ आपने देखा, सुना, सूंघा या महसूस किया यह आपकी विशाल
हार्ड-डिस्क यानी दिमाग में छिपा है। ये संदर्भ तथा अभिव्यक्तियां वही हैं जिन पर
हम निर्भर करते हैं, विश्वास करते हैं या सामर्थ्य रखते हैं। ये संदर्भ वही हैं जो
हमारे जीवन को आकार देते हैं, बल्कि ये वे अर्थ है जिनके साथ हम सम्बन्धित हैं।
फोकस अनुपात
95 : 5 सिद्धांत- भावनात्मक कोलाहल की स्थिति में भी
सफल मनुष्य मजबूत तथा केन्द्रित रहता है। इसलिए मुख्य बात यह है कि इनमें सन्तुलन
कैसे बनाया जाए। कम से कम 95 प्रतिशत अपना समय समाधान खोजने में खर्च करें।
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