भय पर काबू पाएं
भय मानसिक स्थिति के
अलावा और कुछ नहीं है। मानसिक स्थिति को नियंत्रित करना तथा दिशा देना मनुष्य के
अपने हाथ में है।
जब तक मनुष्य अपने
अन्तःकरण में किसी विचार को जन्म नहीं देता तब तक कुछ भी निर्माण नहीं कर सकता है।
मनुष्य के अन्तःकरण में आए विचार चाहें वे इच्छित हों या अनिच्छित उनमें बदलाव की
प्रक्रिया शुरू हो जाती हैं। अंतःकरण विचार जो संयोगवश दिमाग में आ जाते हैं किसी
के लिए आर्थिक समृद्धि, सामाजिक प्रतिष्ठा, व्यापार आदि में सहायक हो सकते हैं
जैसे कि खुद के द्वारा निर्मित विचार ऐसा करने में सहायक होते हैं।
हम आपको एक
महत्त्वपूर्ण बात बताना चाहते हैं कि क्यों कुछ व्यक्ति भाग्यशाली नजर आते हैं
जबकि दूसरे व्यक्ति उतनी ही काबलियत होने के बावजूद भाग्यहीन कहलाते हैं। इस
सच्चाई को हम इस प्रकार कह सकते हैं कि हर मनुष्य में अपने दिमाग को बेहतर ढंग से
नियंत्रित करने की योग्यता होती है तथा इस नियंत्रण के द्वारा मस्तिष्क को मनचाही
दिशा दी जा सकती है।
प्रकृति ने मनुष्य को
उसके विचारों पर पूरा नियंत्रण करने की छूट दी है। इसके साथ एक सच्चाई यह भी जुड़ी
है कि मनुष्य जो भी निर्माण करता है वह पहले उसके दिमाग में उपजता है। इस दौरान यह
भी हो सकता है कि डर उसको अपनी गिरफ्त में ले ले। यह भी सच है कि सभी विचारों में
शारीरिक समता की प्रवृत्ति होती है तथा यह भी उतना ही सच है कि अंतःकरण में समाए
डर और गरीबी को साहस व आर्थिक लाभ में बदला नहीं जा सकता।
नकारात्मक लोगों को नकारना आपका अधिकार है
नकारात्मक सोच के
लोगों ने थॉमस एडीसन को समझाने की पूरी कोशिश की कि वह मनुष्य की आवाज को रिकार्ड
करने की मशीन नहीं बना सकता। क्योंकि उनका कहना था कि किसी ने भी अभी तक ऐसी मशीन
नहीं बनाई है। एडीसन ने उनकी बातों की परवाह नहीं की। वह जानता था कि मस्तिष्क ऐसी
चीज है जो किसी भी असंभव चीज को संभव बना दें। यह कुछ भी खोज सकता है, सृजन कर
सकता है। ज्ञान तथा अच्छी समझ ने महान एडीसन को सामान्य से ऊपर उठा दिया।
जैसा सोचेंगे वैसा होगा
आपका अवचेतन मन, क्या
सही है तथा क्या सही नजर आ रहा है, में फर्क नहीं कर सकता है।
इस संदर्भ में, हमने
सच्ची घटनाएं जमा की हैं जिससे आपको यह महसूस होगा कि जैसा हम सोचते हैं वैसा होने
की संभावना रहती है।
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