जल ही जीवन - अनमोल वचन
Life Anmol वचन
Life Anmol वचन: प्राचिनकाल में हमारे पूर्वज अपना अवास स्थान पानी के पास,
नदी के किनारे बनाया करते थें और पानी को बूंद-बूंद सहेजने की कोशिश किया करते थें।
उन्होनों इसे एक जल संस्कृति का रूप
दे दिया था। जिसे आज हम भूल चुके हैं। और इसी कारण से आज हम अनमोल संसाधन की कमी
से वंचित हो रहे हैं। यह समस्यां तो इतनी बड़ चुकी है कि एक तो हमारे पास पेयजल है
नहीं और दूसरा उसका रूप रंग भी बदला जा रहा है। इन दोनों काम को वे लोग कर रहे है
जो पानी के सबसे बड़े ग्रहक यानी इंसान।
आज तो ये नौबत आ चूकि हो कि जो जितना संपन
है वह उतना ही बेपानी होता जा रहा है। इस हालात के लिए हम स्वम ही जिम्मेदार है। हम
अगर पानी को सहेजने की कोशिश ही नहीं करेंगे तो ये नौबत तो आनी ही है। आज तो कुछ
लोग ऐसे भी हो चुकि है कि जिनके आंखो का पानी भी मरता जा रहा है और वे सबक सीखने
को तैयार ही नही हैं। समय आ गया है कि हम पूर्वजो के बतायें हुए संसकारों पर चले
और जल को बचाने की कोशिश करें, क्योंकि जल ही जीवन है और इसके बिना तो जीवन की
कलपना भी नहीं की जा सकती।
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