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रावण और रामायण - रावण से जुड़े ये सच - Ravan, Oppressor, Moralist

 रावण एक अत्याचारी या सदाचारी मनुष्य

रावण एक अत्याचारी और दुराचारी व्यक्ति था या नहीं - एक भ्रांति


दोस्तों आजकल Social Media पर एक Trend बहुत तेजी से viral हो रहा है जिसमें ये बखान (Definition) किया जा रहा है कि रावण (Ravan) एक प्रकांड पंडित था और उसने माता सीता को कभी छुआ तक नहीं था। वह अपनी बहन (Surpanakha) के बेइज़्ज़ती का बदला लेने के लिये अपना पूरा कुल दाव पर लगा दिया था।

अरे भाई माता सीता को ना छूने का कारण उसकी शराफ़त नहीं बल्कि कुबेर के पुत्र नलकुबेर के द्वारा दिया गया श्राप (Curse) था।

रावण एक अत्याचारी और दुराचारी व्यक्ति

नलकुबेर का श्राप

विश्व विजय प्राप्त करने के लिए जब रावण स्वर्ग लोक (Heaven) पहुंचा तो उसे वहां पर रंभा नामक अप्सरा दिखाई दी। उसने अपनी वासना को पूरी करने के लिए उसे पकड़ लिया। तब रंभा ने उसे कहा कि आप मुझे स्पर्श न करें, मैं आपके बड़े भाई कुबेर के बेटे नलकुबेर (Nalkuber) की मंगेतर (दुलहिन) हूं इसलिए मैं आपकी पुत्रवधू के समान हूं। लेकिन Ravan ने उसका एक भा बात नहीं माना और उससे बुरा बरताव (Bad Behavior) किया। यह बात जब Nalkuber को पता चली तो उसने उसे (Ravan) को श्राप दे दिया कि आज के बाद यदि तुम किसी स्त्री की इच्छा के बिना स्पर्श करेगा (छूयेगा) तो Ravan तुम्हारे मस्तक के सौ टुकड़ों हो जाएंगे।

तो अब आप ये बताइये कि यदि किसी व्यक्ति को ये पता चल जाये कि इस कार्य को करने से मेरी मृतु हो जायेगी तो क्या वह उस कार्य को करेगा या नहीं। मेरे अनुसार तो बिल्कुल भी नहीं करेगा। इसलिए मुझे और आपको यह बात कहने में बिल्कुल भी हिचकिचाहट (Faltering) नहीं होनी चाहिए कि Ravan एक अत्याचारी और दुराचारी व्यक्ति (A bad person) था।

कुछ लोगों को तो मैने यह भी कहते हुए सुना है कि एक मां अपनी बेटी से ये पूछती है कि तुम्हें कैसा भाई चाहिये तो बेटी कहती है रावण जैसा जो अपनी बहन के अपमान का बदला लेने के लिये अपना सब कुछ न्योंछावर (Sacrifice) कर दिया।

सूर्पणंखा का श्राप

मेरे भाई ऐसा नहीं है कुछ लोग आपको आधे अधुरे ज्ञान (Half Knowledge) के करण गलत संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं या हिंदु धर्म (Hindu Religion) को बदनाम करने के लिए इस प्रकार की भ्रंति (Delusion) फैला रहे हैं। बल्कि सत्य तो यह है कि रावण की बहन सूर्पणंखा के पति का नाम विधुतजिव्ह था जो राजा कालकेय का सेनापति था। जब रावण तीनो लोको पर विजय प्राप्त करने के लिये निकला था तब उसको Raja Kaalkya से युद्ध करना पढ़ा था जिसमें उसने विधुतजिव्ह (Vidhuljiva) का वध कर दिया था। तब Shurpanakha ने अपने ही भाई (रावण) को श्राप दिया कि तेरे सर्वनाश (Extermination) का कारण मैं बनूंगी।

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