एक स्त्री के लिए उसका सबसे किमती आभूषण क्या है?
कुछ दिन पहले मैं नौसेना के एक उत्सव में शामिल होने गया था। जब मैं वहाँ गया तो पता चला कि ये सिर्फ महिलाओं के सम्मान के आयोजित किया गया था। सभी नौ सैना में काम करने वाले कर्मचारियों की पत्नि वहाँ आई हुई थी।
मैंने वहां पर देखा कि आगे की पहली पंक्ति में जो तीन महिलाएं बैठी हुई है उनका बहुत खास ध्यान रखा जा रहा है। अगल बगल से पूछने पर पता चला कि उनमें से दो तो सबसे वरिष्ठ अधिकारियों की पत्नियां थी।
लेकिन जो चीज़ मुझे सबसे अज़ीब लगी वो ये कि वो दोनों महिलाओं का अन्य लोगों के प्रति रवैया बहुत बुरा था। वो खुद को जाने क्या समझ रही थी। सब पर हुकुम चला रही थी और बद्तमीजी से बात करना ही वे अपना शान समझ रही थी।
मैं तो यही सोच रहा था कि आखिर इन महिलाओं के पास खुद का व्यक्तित्व ही क्या था। बस अधिकारी की पत्नी होना ही काफी है क्या?
वहीं दूसरी तरफ ये तीसरी महिला थी जो बहुत ही नम्र और शांत स्वभावी थी। सभी को आदर दे रही थी। आदेश वो भी दे रही थी कर्मचारियों को किन्तु भाषा सुशील थी। पूछने पर पता चला कि वो अध्यापक है यहाँ और इसलिए सबके सम्मान की अधिकारी भी।
तीसरी महिला की पहचान उसके पति से नहीं बल्कि उसकी अपनी थी। उसकी पहचान कराने के लिए वहाँ किसी को उसके पति का नाम नहीं लेना पड़ा।
एक महिला के लिए उसका सबसे किमती आभूषण है उसकी खुद की एक अलग पहचान।
आखिर कब तक हम किसी की बेटी, किसी की पत्नी और किसी की माँ का घण्टा गले मे डालकर घूमेंगे?
किसी भी महिला का आभूषण उसकी विद्या होने पर भी विनम्रता है, और विवेक है - क्या सही क्या गलत, कौन मित्र कौन शत्रु, क्या सत्य और क्या असत्य, क्या धर्म और क्या अधर्म। यह विवेक विद्या के बिना संभव नहीं। विद्या ही मनुष्यमात्र का सबसे किमती आभूषण है। यह बार इसी घटना से स्पस्ठ हो जाता है। विद्या से इन्सान को निर्णय लेना, आत्मनिर्भर बनना और आत्मविश्वास होना, यह सब स्वतः सिद्ध हो जाता है।
शिक्षा (Education):
- शिक्षा को कभी पैसे से नहीं तौला जा सकता, यह तो वह आभूषण है जो सबसे मूल्यवान है।
- निपुणता एक प्रकार का मार्ग है, कोई गणतब्य स्थान नहीं, इस मार्ग पर चलना ही शिक्षा कहलाता है।
- शिक्षण केवल यह बताता है कि क्या संभव है और क्या असंभव, लेकिन सीखना असंभव को संभव बना देता है।
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