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प्रकृति का चक्र: विज्ञान से वापसी की यात्रा

पुरानी राहों पर लौटती दुनिया: Technology से वापस प्रकृति की ओर

आधुनिकता की दौड़ में हमने बहुत कुछ खोया और पाया है लेकिन आखिरकार हम फिर से लौटकर वहीं आ रहे हैं जहां से हमने शुरुआत की थी। सब कुछ वहीं से मिट्टी के बर्तनों से लेकर अंगूठाछाप तक, हर बदलाव हमें यह सिखाता है कि प्रकृति ने जो दिया, वह सबसे बेहतर था, है और रहेगा। इस लेख में जानें कैसे हम विज्ञान और टेक्नोलॉजी (science and technology) के माध्यम से घूम-फिरकर उसी प्राकृतिक जीवन की ओर वापस लौट रहे हैं।

Vigyan ki or lauti duniya


हमारे बुजुर्ग वास्तव में वैज्ञानिक रूप से हम से बहुत आगे थे। समय के साथ हमने science और technology के जरिए तरक्की की, लेकिन आखिरकार हमें थक हार कर फिर से वापस उनकी ही राह पर आ रहे है या यू कहें कि आना पड़ रहा है 😊

चलिए आपके कुछ उद्दहारण के माध्यम से इसे समझते हैं- 

अंगूठाछाप (Thumbprint): 

पहले हम लोग अंगूठाछाप का इस्तेमाल करते थे, फिर हस्ताक्षर (Signatures) का दौर में हमने प्रवेश किया। अब फिर से हम अंगूठाछाप बनने की राह पर है अथार्त thumb scanning की तकनीक की ओर लोट रहे हैं।

मशक़्क़त वाली ज़िंदगी (Hard life): 

पहले हमारा जीवन कठिनाईयों से भरा होता था, फिर हमने पढ़ाई-लिखाई और BA, B.Tech, BE तथा MBA आदि की पढ़ाई की बढ़ें। लेकिन अब इसके बावजूद हम लोग आर्गेनिक खेती की ओर वापस लौटकर पसीना बहा रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि अब हम सभी को खाने पिने की चीजे आर्गेनिक ही चाहिए। 

बच्चों की परवरिश (Raising children): 

अभी कुछ वर्षों तक हम बच्चों को इंफेक्शन से बचाने के लिए मिट्टी में खेलने से रोकते थे, उन्हें घर में बंद करके पढ़ाई की ओर ध्यान देने के लिए कहते थे। लेकिन अब समझ में आ गया और अब हम  फिर से उनकी इम्युनिटी बढ़ाने के लिए उन्हें मिट्टी में खेलने के लिए कह रहे हैं।

मिट्टी के बर्तन (Earthen utensils): 

एक समय था जब हम मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल करते थे। फिर स्टील और प्लास्टिक के बर्तन पर आ गये आए, लेकिन आज कैंसर और अन्य बीमारियों के खौफ से हम लोग फिर से मिट्टी के बर्तनों की ओर लौट रहे हैं।


कपड़ों का सफर (The journey of clothes): 

फटे हुए सादा कपड़े से हमारा सफर शुरू हुआ था अब साफ-सुथरे और प्रेस किए कपड़ों तक हम पहुंच गये है। लेकिन अब फैशन के नाम पर फिर से फटे हुए कपड़ों का दौर लौट आया है।


सूती कपड़े (Cotton clothes): 

सूती से टैरीलीन और टैरीकॉट जैसे सिंथेटिक कपड़ों का दौर पहले शुरू हुआ, लेकिन अब फिर से लोग सूती कपड़ों की ओर लौटते हुए दिखाई देने लगे हैं।


खानपान का सफर (The journey of food): 

कुछ दसक पहले हम प्राकृतिक भोजन से प्रोसेस्ड और कैन्ड फूड की ओर रुख कर चुके थे। लेकिन अब बीमारियों से बचने के लिए फिर से प्राकृतिक खाने की ओर वापसी कर रहे हैं।


पुरानी चीज़ों से ब्रांडेड तक (The journey of food): 

हमारी पुराने और सादे चीज़ों से शुरुआत हुई, फिर ब्रांडेड (Branded) चीज़ों का दौर चला। अब अंत में, हमारा जी भर जाने पर फिर से हम पुरानी (Antiques) चीज़ों की ओर लोग वापस लौट रहे हैं।


जीवन की दिशा (Direction of life): 

हम लोग गांव और जंगलों से होते हुए डिस्को, पब और चकाचौंध की दुनिया में गए, लेकिन अब मन की शांति और स्वास्थ्य के लिए फिर से गांव और जंगलों की ओर लौट पड़ रहा है।


अब आप ऊपर के उद्दाहरण से समझ गये होंगे कि पहले के लोग सही और वैज्ञानिक तरीके से जीते थे। हम लोग कुछ समय के लिए भटक गये थे। यहि कारण है कि धीरे-धीरे ही सही हम विज्ञान की ओर वापसी कर रहे हैं।

 हमारे बुजुर्ग वास्तव में वैज्ञानिक रूप से हम से बहुत आगे थे। समय के साथ हमने विज्ञान और टेक्नोलॉजी के जरिए तरक्की की, लेकिन आखिरकार हमें थक हार कर वापस उनकी ही राह पर आना पड़ रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि उनका विज्ञान हमसे अच्छा और सही था। बस हम लोग उसे गतल तरीके से ले रहे थे लेकिन अब जैसे जैसे हमें समझ आ रहा है कि वे सही थे तो हम उनकी राह पर वापस आ रहे हैं 😊

Suvichar: 

"जो दिया प्रकृति ने, उससे बेहतर कोई दूसरा विज्ञान नहीं बना सकता।"


यह सब इस निष्कर्ष की ओर इशारा करता है कि technology ने जो दिया, उससे कहीं बेहतर तो हमारी प्रकृति (nature) ने पहले से दे रखा था। हम चाहे जितनी भी तरक्की कर लें, अंत में हमें लौटना तो वहीं है, जहां से हमारी शुरुआत हुई थी।

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