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Maharishi Valmiki Jayanti and his Suvichar (Quotes) For You

 महर्षि वाल्मीकि जयंती और उनके सुविचार

नमस्कार दोस्तों, एक बार फिर से मैं V.S. Chandravanshi आपका Suvichar4U में स्वागत करता हूं। आज Maharishi Valmiki Jayanti है। आपको सभी को महर्षि वाल्मीकि जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं। चलिए आज इस blog में महर्षि वाल्मीकि के बारे में चर्चा करते हैं तथा उनके कुछ सुविचार (good thoughts) को पढ़ते और उससे कुछ सीख लेते हैं।


सबसे पहले मैं आपको बता दूं कि Shri Valmiki ji सबसे महान ऋषि हैं जिन्होंने महाकाव्य हिंदू धर्मग्रंथ रामायण (Ramayana) की रचना की थी। Hindu calendar के अनुसार इनका जन्म महोत्वसव अश्विन महीने की पूर्णिमा के दिन होता है। यह दिन हर साल Gregorian calendar के अनुसार सितंबर-अक्टूबर के महीने आता है। इस वर्ष, वाल्मीकि जयंती गुरुवार, 17 अक्टूबर को मनाई जा रही है। 

Maharishi Valmiki Jayanti


परगट दिवस क्या है?

भारत में रहने वाले बहुत से लोगों को यह नहीं पता होगा कि परगट दिवस क्या होता है। इसलिए सबसे पहले मैं आपको बता दूं कि वाल्मीकि जयंती को ही "परगट दिवस" ​​के रूप में जाना जाता है। यहां पर परगट जन्म का प्रतीक है। चलिए महर्षि वाल्मीकि जयंती अथार्त Pargat Diwas पर हम इन महान ऋषि को अपना श्रद्धांजलि दें और उनकी द्वारा दी गई न्याय, समानता और सामाजिक सद्भाव से संबंधित शिक्षाओं को ग्रहण करें। 


बहुत से लोग ऐसे भी होंगे जो यह कहते जानना चाहते होंगे की वास्तविक में  महान ऋषि वाल्मीकि का जन्म कब हुआ था तो उनके लिए मैं बता दूं कि उनका जन्म की सही तारीख अज्ञात है, लेकिन ऐसा कई ग्रंथों और लेखों में आपको मिल जायेगा कि Maharishi Valmiki लगभग 500 ईसा पूर्व हुआ था। 


महर्षि वाल्मीकि के कुछ उद्धरण

महर्षि वाल्मीकि जी को भारत के पहले कवि या "आदि कवि" के रूप में भी जाना जाता है। इन्होने रामायण की है जो एक प्रसिद्ध महाकाव्य  है। इस पर कई पुस्तके और फिल्म भी बन चुकी है। चलिए इनके एक उद्धरण को पढ़ लेते हैं और उसे समझने की कोशिश करते हैं। 


माँ नवादा प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः।

यत्क्रौञ्चमिथुनादेकमवधीः काममोहितम्॥


ऊपर दी गई कविता का अर्थ यह है कि अनगिनत (countless) वर्षों तक, तुम्हें आराम नहीं मिलेगा, क्योंकि तुमने वासना से प्रेरित एक प्रेमी पक्षी (lover bird) को मार डाला है।

Valmiki Jayanti Suvichar


महर्षि बाल्मीकि के कुछ सुविचार

धैर्य और शांति वह व्यक्ति पा सकता है, जो अपने मन को वश में करने की क्षमता रखता हो


कर्म के बिना सफलता की आशा करना बिल्कुल निरर्थक है।


जो दूसरों के दुखों को समझता है, वही सच्चा मनुष्य है।


आदर्श पुरुष वह व्यक्ति होता है, जो धर्म का पालन करने के साथ-साथ सत्य बोलता है।


रामायण से संबंधित कुछ सुविचार और उसके अर्थ

संसार का सबसे बड़ा शत्रु लोभ और अहंकार है। 

जैसे रावण को एक समय हो गया था और उसके कारण उसका नाश हो गया


जीवन में कोई भी कार्य असंभव नहीं होता, जब तक आपके मन में दृढ़ संकल्प हो।

जिस प्रकार से श्री राम जी ने अपने दृढ़ संकल्पों से समुंद्र पर बांध बनवा दिया था। 


समर्पण और त्याग से ही जीवन में सच्ची शांति और संतोष प्राप्त होता है।

रामाण में हनुमान जी के समर्पण और त्याग को कौन नहीं जानता और महसूस करता। 


जिसने अपने क्रोध को जीत लिया, उसने संसार को जीत लिया।

रामायण में श्री राम भागवान से एक बात बहुत अच्छी तरह से सीख सकते हैं कि कैसे क्रोध पर विजय प्राप्त किया जाता है और कैसे शत्रु को शांत भाव से भी हराया जा सकता है चाहे शत्रु कितना भी ताकतवर क्यों न हो। 


परमात्मा का स्मरण और सेवा ही जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य होना चाहिए।

जिस प्रकार से रामायण में हनुमान जी ने भागवान राम जी की सेवा और स्मरण किया था उससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि परमात्मा का स्मरण और सेवा ही जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य होना चाहिए। 

मनुष्य अपने कर्मों से महान बनता है, न कि अपने जन्म से।


महर्षि वाल्मीकि जयंती मनाए जाने का कारण

यह जयंती दिवस भारतीय साहित्य और संस्कृति में महान ऋषि के अमूल्य योगदान (invaluable contribution) का सम्मान करने के लिए मनाई जाती है। इन्होने रामायण महाकाव्य में 24,000 श्लोकों को लिखा है। इसके अलावा Maharishi Valmiki ने लगभग सात पुस्तकों को लिखा है जो दुनिया भर के हिंदू भक्तों (Hindu devotees) के लिए एक मार्गदर्शक पाठ के रूप में कार्य करती है। इनके इन महान कार्यों को देखते हुए पता चलता है कि यह कोई साधारण व्यक्ति नहीं थे और इसलिए ही Maharishi Valmiki Jayanti मनाई जाती है। 


महर्षि वाल्मीकि जयंती का महत्व

वाल्मीकि ने अपने पूरे जीवन को धर्म, न्याय और करुणा के लिए समर्पित करत दिया था। उनका महाकाव्य Ramayana आज भी नैतिक मार्गदर्शक (moral guide) के रूप में करोड़ों लोगों के लिए प्ररेणा का स्रोत है। 

रायमाण को पढ़ने और समझने पर आपको पता चल जायेगा कि बुराई पर अच्छाई की जीत कैसे मिल सकती है। अभी इस वर्ष 12 अक्टूबर को दशहरा का त्यौहार (the festival of Dussehra) मनाया गया है जो कि रामायण से जुड़ी एक घटना पर आधारित है और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है। Maharishi Valmiki का जीवन हमें यह सिखाता है कि समर्पण और आध्यात्मिक ज्ञान के माध्यम से कोई भी व्यक्ति अपने अंदर सुधार ला सकता है और महानता को प्राप्त कर सकता है। 

महर्षि वाल्मीकि का जीवन रामायण और महाभारत दोनों के साथ जुड़ा हुआ है। Ramayana को उन्होने खुद लिखी है। जबकि Mahabharata युद्ध के बाद, वे उन ऋषियों में से एक थे, जिन्होंने युधिष्ठिर से मुलाकात की थी और उन्हें पापों के प्रायश्चित के लिए भगवान शिव की पूजा करने की सलाह दी थी। इन घटनाओं से महर्षि वाल्मीकि की बुद्धिमत्ता और कालातीत प्रासंगिकता का पता चलता है। 

Maharishi Valmiki Jayanti and his Suvichar (Quotes) For You

I V.S. Chandravanshi wrote this Blog for you so that I can make you all aware of the compassion, wisdom and justice associated with the life of Maharishi Valmiki through Valmiki Jayanti. I hope you liked this article. Please share it with others so that you too can pay a tribute to Maharishi Valmiki ji. Thank you.

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